कोलख़ोज़ - विकिपीडिया
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कोलख़ोज़ या कॉलख़ोज़ (रूसी: колхо́з, Kolkhoz) सोवियत संघ में एक प्रकार की सामूहिक कृषि प्रणाली के खेतों को कहा जाता था। इसके साथ-साथ सोवियत संघ में सरकारी खेत भी हुआ करते थे, जो सोवख़ोज़ कहलाते थे। १९१७ की अक्तूबर समाजवादी क्रांति के बाद कई किसानों ने सामूहिक कृषि आरम्भ कर दी थी और कई स्थानो पर कोलख़ोज़ स्वयं ही उभर आए थे। स्टालिन के काल में बहुत बड़े पैमाने पर इस प्रणाली पर ज़ोर दिया गया और स्वतंत्र कृषकों को ज़बरदस्ती कोलख़ोज़ों में संगठित किया गया।
'कोलख़ोज़' शब्द 'कोलेक्तिवनोए ख़ोज़्याय्स्त्वो' (коллекти́вное хозя́йство) का संक्षिप्त रूप है जिसका रूसी भाषा में अर्थ 'सामूहिक खेत' है। इसमें बिन्दु-वाले 'ख़' के उच्चारण पर ध्यान दें क्योंकि यह बिन्दु-रहित 'ख' से अलग है और ख़रीद, ख़राब और ख़बर जैसे शब्दों में पाया जाता है।
कोलख़ोज़ पर काम करने वाले लोगों को 'कोलख़ोज़निक' बुलाया जाता था। सैद्धांतिक तौर पर उन्हें कोलख़ोज़ की उपज और मुनाफ़े का एक भाग दिया जाता था लेकिन वास्तविकता में बहुत से कोलख़ोज़निकों को कोई भी हिस्सा नहीं मिलता था।[1] कोलख़ोज़ की पैदावार केवल सरकार को ही बेची जा सकती थी और वह भी सरकार द्वारा निर्धारित दामों पर, जो बहुत कम होते थे। इस उपज को सरकार अच्छे दाम पर बाज़ारों में बेचती थी जो सोवियत सरकार के लिए आय का अच्छा स्रोत था।[2] कोलख़ोज़निक को एक छोटा-सा भूमि का टुकड़ा और कुछ पशु अपने लिए भी दिए जाते थे।
सरकार ने सभी सोवियत नागरिकों के साथ-साथ कोलख़ोज़निकों को भी पासपोर्ट दिए हुए थे और उन्हें कोलख़ोज़ छोड़ने की अनुमति नहीं थी। १९६९ तक किसी कोलख़ोज़ में पैदा हुए बच्चों को बड़े होकर उसी कोलख़ोज़ पर काम करना होता था। सरकार कोलख़ोज़ों को पैदावार का एक वार्षिक लक्ष्य देती थी। उस से कम उपज होने पर किसानों को दण्ड दिया जाता था, जिसमें उनकी निजि खेत व जानवरों के ज़ब्त होने से लेकर उन्हें श्रम-कारावास की एक वर्ष तक की सज़ा दी जाती थी।[3]
१९९१ में सोवियत संघ टूट गया और कोलख़ोज़ प्रणाली का भी अन्त हो गया।