पामीर पर्वतमाला - विकिपीडिया
- ️Thu Sep 11 2014
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पामीर पर्वत Pamir Mountains | |
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![]() मध्य एशिया में पामीर की स्थिति | |
विवरण | |
अन्य नाम: | कोह-ए-पामीर |
क्षेत्र: | ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() |
सर्वोच्च शिखर: | इस्माइल सामानी पर्वत |
सर्वोच्च ऊँचाई: | ७,४९५ मीटर |
निर्देशांक: | 38°55′N 72°01′E / 38.917°N 72.017°E |
पामीर (अंग्रेजी: Pamir Mountains, फ़ारसी: رشته کوه های پامیر), मध्य एशिया में स्थित एक प्रमुख पठार एवं पर्वत शृंखला है, जिसकी रचना हिमालय, तियन शान, काराकोरम, कुनलुन और हिन्दू कुश शृंखलाओं के संगम से हुआ है। पामीर विश्व के सबसे ऊँचे पहाड़ों में से हैं और 18th सदी से इन्हें 'विश्व की छत' कहा जाता है। इसके अलावा इन्हें इनके चीनी नाम 'कोंगलिंग' के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ उगने वाले जंगली प्याज़ के नाम पर इन्हें प्याज़ी पर्वत भी कहा जाता था।[1] ताजिकिस्तान में स्थित इस्माइल सामानी पर्वत इस पर्वतमाला का सबसे ऊँचा पहाड़ है।[2]
पामीर एक गाँठ के रूप में है जहाँ विभिन्न दिशाओं में स्थित पर्वतश्रेणियाँ आकर मिलती हैं। यहाँ से उत्तर की ओर थान शान, पूर्व की ओर कुनलुन और कराकोरम, दक्षिणपूर्व की ओर हिमालय एवं पश्चिम की ओर हिंदूकुश पर्वतश्रेणी जाती है। पठार की औसत ऊँचाई २०,००० फुट है और घाटियाँ १२,००० से १४,००० फुट ऊँची है। अधिकांश भाग पर्वतीय एवं शेष पर घास के मैदान हैं। जलवायु शुष्क है जिससे यहाँ का जनजीवन कठोर हो जाता है। यहाँ अनेक झीलें स्थित हैं और यहीं ऑक्सस नदी का उद्गमस्थल भी है।
जलवायु की विषमता यहाँ अधिक है, क्योंकि नवंबर से अप्रैल तक शीताधिक्य के कारण यह दुर्गम हो जाता है। अन्य महीनों में ताप अपेक्षाकृत ठीक रहता है। ताजिकिस्तानी क्षेत्र में सर्वोच्च स्टालिन शिखर २४,४९० फुट तथा चीन के क्षेत्र में मुस्ताग़ अता पर्वत पर कुंगूर की चोटी २५,१४६ फुट ऊँची है। शुष्क जलवायु एवं अनुपजाऊ होते हुए भी इस क्षेत्र में पूर्व पश्चिम को मिलानेवाले दो प्राचीन मार्ग हैं।
पामीर पर्वतों का विस्तार कहाँ से कहाँ तक है यह विवाद का विषय है, लेकिन इनका अधिकांश भाग ताजिकिस्तान के कूहिस्तोनी-बदख़्शान स्वशासित प्रांत और अफ़ग़ानिस्तान के बदख़्शान प्रान्त में स्थित है। उत्तर में यह किर्गिज़स्तान की अलाय घाटी के साथ साथ में तियान शान पहाड़ों से मिलते हैं जबकि दक्षिण में इनका मिलन अफ़ग़ानिस्तान के वाख़ान गलियारे, गिलगित-बल्तिस्तान और पाकिस्तान में हिंदू कुश पर्वतमाला से होता है। पूर्व में इस पर्वतमाला का अंत चीनी सीमा पर होता है। इसे ताजिकिस्तान का पठार माना जाता है।